दिल्ली: कर्नाटक में 12 दिनों से जारी सियासी उठापटक के बीच बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में बागी विधायकों की अर्जी पर अपना फैसला सुना दिया. कोर्ट ने जेडीएस-कांग्रेस के 16 बागी विधायकों की इस्तीफे पर फैसला स्पीकर पर छोड़ दिया है. चीफ जस्टिस (CJI) रंजन गोगोई ने कहा कि विधानसभा स्पीकर केआर रमेश कुमार बागी विधायकों के इस्तीफे पर नियम के मुताबिक फैसला करें. इसके लिए कोई डेडलाइन नहीं दी जा रही है. कोर्ट के इस फैसले के बाद मुख्यमंत्री कुमारस्वामी गुरुवार को विधानसभा में विश्वास मत पेश करेंगे. कोर्ट ने ये भी कहा कि बागी विधायक विधानसभा में आने या न आने के लिए स्वतंत्र हैं. लेकिन, उनपर कोई दबाव नहीं डाला जा सकता.
इससे पहले मंगलवार को चीफ जस्टिस (सीजेआई) रंजन गोगोई ने इस मामले में सभी पक्षों की ओर से जोरदार दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. इस दौरान कुमारस्वामी और विधानसभा अध्यक्ष ने बागी विधायकों की याचिका पर विचार करने के न्यायालय के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाया. वहीं, बागी विधायकों ने आरोप लगाया कि विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार बहुमत खो चुकी गठबंधन सरकार को सहारा देने की कोशिश कर रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब नज़रें विधानसभा स्पीकर केआर रमेश कुमार पर हैं. अगर विधानसभा अध्यक्ष इन बागी विधायकों का इस्तीफा स्वीकार कर लेते हैं तो उनकी सरकार उससे पहले ही गिर सकती है
सीजेआई ने कहा-स्पीकर को डिक्टेट नहीं कर सकते
मंगलवार को हुई सुनवाई में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, ‘हम ये तय नहीं करेंगे कि विधानसभा स्पीकर को क्या करना चाहिए, यानी उन्हें इस्तीफा स्वीकार करना चाहिए या नहीं. हालांकि, हम सिर्फ ये देख सकते हैं कि क्या संवैधानिक रूप से स्पीकर पहले किस मुद्दे पर निर्णय कर सकता है.’ CJI ने कहा कि कोर्ट ये तय नहीं करेगा कि स्पीकर को क्या करना है.